आज एक बार फ़िर सुरज को उगता देखोऔर चान्द को चान्दनी रात मे जागता देखो
क्या पता कल ये धरतीचान्द और सुरज हो ना हो
आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करोबिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुरानाऔर दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओआज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बातेऔर ये यादें हो ना हो
आज एक बार मन्दिर हो आओपुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मेभगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगोझुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरहकल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करोउसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरहकल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओआज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैनऔर आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पता
कल हो ना हो
Monday, May 25, 2009
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