Monday, May 25, 2009

आज एक बार फ़िर सुरज को उगता देखोऔर चान्द को चान्दनी रात मे जागता देखो
क्या पता कल ये धरतीचान्द और सुरज हो ना हो

आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करोबिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुरानाऔर दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो

आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओआज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बातेऔर ये यादें हो ना हो

आज एक बार मन्दिर हो आओपुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मेभगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो

बारीश मे आज खुब भीगोझुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरहकल ये बारीश भी हो ना हो

आज हर काम खूब दिल लगा कर करोउसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरहकल बाजुओं मे ताकत हो ना हो

आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओआज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैनऔर आखों मे कोई सपना हो ना हो


क्या पता
कल हो ना हो

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